आज अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस पर केएमसी की तरफ से यह अपील की जाती है कि सभी साक्षर बनें। आप सभी स्टूडेंट्स से अनुरोध है कि आप सभी साक्षर ही नहीं विशेष रूप से शिक्षित हैं, ऐसे में आप की जिम्मेदारी अधिक है! अपने आस-पास रहने वाले लोगों को भी साक्षर बनायें। यदि देश का हर स्टूडेंट यह ठान ले कि वह कम-से-कम एक गरीब बच्चे को पढ़ायेंगे तो यकीन मानिये कि हमारे देश में कोई भी निरक्षर नहीं रहेगा।
भारत में शिक्षा की बहुत ही दयनीय हालत है। 2011 की जनगणना के मुताबिक भारत में साक्षरता दर 75 फीसदी के आसपास है, लेकिन अब भी भारत दुनिया की साक्षरता दर 85 फीसदी से बहुत पीछे है। यही नहीं जनसंख्या की दृष्टि से देखने पर भारत की उच्चतर शिक्षा-व्यवस्था अमेरिका और चीन के बाद तीसरे नंबर पर आती है, लेकिन जहां तक गुणवत्ता की बात है, दुनिया के शीर्ष 200 विश्वविद्यालयों में भारत का एक भी विश्वविद्यालय नहीं है। इससे बड़ी विडंबना और क्या हो सकती है? विश्व संगठन का आकलन है कि दुनिया के 127 देशों में 101 देश ऐसे हैं, जो पूर्ण साक्षरता हासिल करने से दूर हैं, जिनमें भारत भी शामिल है।
यूनेस्को के मुताबिक, 'साक्षरता दिवस अंतरराष्ट्रीय समुदाय को यह याद दिलाता है कि साक्षरता मानवाधिकार है, यह किसी भी तरह की पढ़ाई की बुनियाद है।' हमारे देश में यह बहुत जरुरी है कि साक्षरता को मानव का अधिकार माना जाये, तभी इस देश की तस्वीर बदल सकती है। आज अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस पर आप सभी स्टूडेंट्स यह संकल्प लें कि देश के किसी भी व्यक्ति को निरक्षर नहीं रहने देंगे। किसी निरक्षर को साक्षर करना भी देश-सेवा ही है।
भारत में शिक्षा की बहुत ही दयनीय हालत है। 2011 की जनगणना के मुताबिक भारत में साक्षरता दर 75 फीसदी के आसपास है, लेकिन अब भी भारत दुनिया की साक्षरता दर 85 फीसदी से बहुत पीछे है। यही नहीं जनसंख्या की दृष्टि से देखने पर भारत की उच्चतर शिक्षा-व्यवस्था अमेरिका और चीन के बाद तीसरे नंबर पर आती है, लेकिन जहां तक गुणवत्ता की बात है, दुनिया के शीर्ष 200 विश्वविद्यालयों में भारत का एक भी विश्वविद्यालय नहीं है। इससे बड़ी विडंबना और क्या हो सकती है? विश्व संगठन का आकलन है कि दुनिया के 127 देशों में 101 देश ऐसे हैं, जो पूर्ण साक्षरता हासिल करने से दूर हैं, जिनमें भारत भी शामिल है।
यूनेस्को के मुताबिक, 'साक्षरता दिवस अंतरराष्ट्रीय समुदाय को यह याद दिलाता है कि साक्षरता मानवाधिकार है, यह किसी भी तरह की पढ़ाई की बुनियाद है।' हमारे देश में यह बहुत जरुरी है कि साक्षरता को मानव का अधिकार माना जाये, तभी इस देश की तस्वीर बदल सकती है। आज अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस पर आप सभी स्टूडेंट्स यह संकल्प लें कि देश के किसी भी व्यक्ति को निरक्षर नहीं रहने देंगे। किसी निरक्षर को साक्षर करना भी देश-सेवा ही है।
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